Natasha

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राजा की रानी

उस दिन पात्र को आशीर्वाद देने से लेकर उपस्थित अभ्यागतों के खाने-पीने तक के सारे काम निर्विघ्न सुसम्पन्न हो गये। इस अध्याञय के प्रारम्भ में सदुपदेशक के बारे में जिस नियम का उल्लेख किया था, उसके व्यतिक्रम का एक उदाहरण पूँटू का विवाह है। संसार में सिर्फ यही एक उदाहरण अपनी ऑंखों से देखा है। कारण, नि:सम्पर्कीय, अपरिचित, अभागी लड़की के बाप का कान ऐंठते ही जहाँ रुपये वसूल होते हों, वहाँ वैष्णव बनकर हाथ जोड़ने पर बाघ के ग्रास से निस्तार नहीं मिलता। निष्ठुर, निर्दय इत्यादि गाली-गलौज करके समाज और तकदीर को धिक्कारने पर किंचित् क्षोभ मिट सकता है, पर प्रतिकार नहीं होता, क्योंकि दूल्हे के बाप के हाथ में प्रतीकार नहीं है, वह तो लड़की के बाप के हाथों में ही है।

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गौहर की खोज में आने पर नवीन से मुलाकात हुई। वह मुझे देखकर खुश हुआ। लेकिन उसका मिजाज बहुत रूखा था। बोला, “जाकर वैष्णवियों के आश्रम में देखिए, कल से तो घर ही नहीं आये हैं।”

“यह क्या माजरा है नवीन! यह वैष्णवी कहाँ से आ गयी?”

“एक वैष्णवी नहीं, पूरा का पूरा एक दल आ जुटा है!”

“वे कहाँ रहती हैं?”

“यहीं मुरारीपुर के अखाड़े में।” कहकर नवीन ने एक नि:श्वास छोड़ा, फिर कहा, “हाय बाबू, अब न तो वे राम हैं और न वह अयोधया। बूढ़े मथुरादास बाबाजी के मरते ही उनकी जगह एक छोकरा वैरागी आ गया है, उसके कोई चार गण्डा सेवा-दासी हैं। द्वारिकादास वैरागी से हमारे बाबू की बड़ी मित्रता है- वहीं तो प्राय: रहते हैं।”

चकित होकर पूछा, “पर तुम्हारे बाबू तो मुसलमान हैं। वैष्णव-वैरागी अपने आश्रम में उन्हें रहने कैसे देंगे?”

नवीन ने नाराज होकर कहा, “इन सब बाउल सन्यासियों को क्या धर्माधर्म का ज्ञान है? ये जाति-जन्म कुछ भी नहीं मानते। जो भी कोई उन्हें मिलता है, वे उसे ही अपने दल में खींच लेते हैं, सोच-विचार कुछ नहीं करते।”

पूछा, “पर उस बार जब मैं तुम्हारे यहाँ छह-सात दिन था, तब तो गौहर ने उनके बारे में कुछ नहीं कहा?”

नवीन बोला, “कहते तो कमललता के गुण-अवगुण जाहिर नहीं हो जाते? सिर्फ उन कई दिनों ही बाबू अखाड़े के पास नहीं गये। पर जैसे ही आप गये वैसे ही कॉपी और कलम लिए बाबू अखाड़े अखाड़ेगें में जा धामके।”

प्रश्न करने पर मालूम हुआ कि द्वारिका बाउल गाना गाने और दोहे बनाने में सिद्धहस्त है। गौहर इस प्रलोभन में फँस गया। उसको कविता सुनाता है, उससे अपनी गलतियों का संशोधन करा लेता है और कमललता एक युवती वैष्णवी है- उसी आश्रम में रहती है। वह देखने में अच्छी है, गाना अच्छा गाती है। उसकी बातें सुनकर लोग मुग्ध हो जाते हैं। कभी-कभी वैष्णवों की सेवा के लिए गौहर रूपये-पैसे भी देता है। अखाड़े की पुरानी दीवार जीर्ण होकर गिर गयी थी, गौहर ने अपने खर्चे से उसकी मरम्मत करा दी है। यह काम उसने उस सम्प्रदाय के लोगों के अगोचर चुपचाप ही किया है।

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